‘क्लेप्टोलोहानिया’ : लिंडसे लोहान अनचाही चोरी करने की विवशता | ‘मनदर्शनलीक्स’
मनदर्शन-मिशन के मनोखोजी लेंस ‘मनदर्शनलीक्स’ ने फिर एक छुपे रुस्तम व अनछुए मनोविकृति का खुलासा जनहित में कर दिया है | क्या आप सोच सकते है की‘विश्व प्रसिद्ध हालीवुड सुपरस्टार लिंडसे लोहान’ एक ज्वेलरी शोरूम स्टोर से भारी-भरकम खरीदारी का बिल अदा करके घर वापस जाती है और दूसरे ही दिन पुलिस उनके घर पहुँच जाती है और उसे उस स्टरे से एक मामूली सामान चोरी करने के जुर्म में पकड़कर न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करती है | साक्ष्य के रूप में स्टोर में लगे कैमरे में रिकॉर्ड उसके द्वारा उस सामान को चुराने का दृश्य भी दिखाया जाता है |
न्यायाधीश यह देख कर बड़ी असमंजस व दुविधा की मन:स्थिति में पड़ जाता है कि इस भरी-भरकम बिल चुकाने वाली अति धनाढ्य व ग्लैमरस हालीवुड सुपर स्टार ने एक तुक्ष सामान की चोरी क्यों की होगी, शायद भूलवश अनजाने में उससे ऐसा हो गया होगा | परन्तु जब उस हालीवुड सुपर स्टार ने न्यायाधीश को यह बताया कि वह जहा कहीं भी जाती है उसके मन में कुछ न कुछ चुरा लेने की मनोविवषता इतनी हावी हो जाती है कि वह इस कृत्य को कर ही डालती है, भले ही वह चीज बिलकुल तुच्क्ष व अर्थहीन ही क्यों न हो | ऐसा कर लेने के बाद ही उसके मन की व्यग्रता शांत होती है | यह कोई काल्पनिक कहानी नहीं बल्कि एक सच्ची घटना है |
मानव समाज में मन की खूबसूरती का अविर्भाव कर स्वस्थ व सुन्दर विश्व समाज की स्थापना के मिशन के तहत‘मनदर्शन-मिशन’ की मनोशोध उद्गम मनदर्शन मनोविश्लेश्कीय फाउन्डेशन की रिपोर्ट के अनुसार इस हालीवुड सुपर स्टार को ‘क्लेप्टोमैनिया’ मनोरोग से ग्रसित होना बताया गया है |
‘मनदर्शनलीक्स’ के अन्वेषक मन-गुरु डॉ.आलोक मनदर्शन के अनुसार इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति के मन में कुछ भी चुराने की मनोविवषता एक मादक खिचाव के रूप में बनी रहती है और जब तक वह इस कृत्य को कर न ले उसे जबरदस्त मानसिक-बेचैनी झेलनी पड़ती है | इस कृत्य के कर लेने मात्र से ही उसे सुकून मिलता है, भले ही वह चोरी की वस्तु को कुछ ही समय पश्चात कूड़े के समान फेंक दे | इतना ही नहीं, नई जगह पहुँचते ही उसका मन फिर कुछ न कुछ चुराने के लिए व्यग्र हो जाता है और इस प्रकार न चाहते हुए भी यह मनोरोग उसे इस कृत्य को बार-बार करने को विवश कर देता है |
यह मनोरोग ओ.सी.डी. स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर के अंतर्गत आता है | ऐसा मनोरोगी आगे चल कर अपनी मनोविवषता के कारण घोर अवसाद व कुंठा की मनोस्थिति में पहुँच जाता है | भारत की पहली टेलीफोनिक साइकोथिरैपी सेवा 09453152200 से इस मनोस्थिति में पहुंचे हुए लोगों ने अपने को इस लत से ग्रसित होने की स्वीकारोक्ति भी की है | निजाम हैदराबाद के भी इस मनोरोग से ग्रसित होने के अभिलेखीय साक्ष्य मौजूद है, परन्तु वह भी अपनी इस लत की ‘क्लेप्टोमैनिया’ मनोरुग्णता रूप से अनभिज्ञ थे | विश्व की प्रथम खूबसूरत मन प्रतियोगिता के जनक मन-गुरु डॉ.आलोक मनदर्शन ने ‘लिंडसे लोहान’ की ‘क्लेप्टोमैनिया’ (अनचाही चोरी करने की विवशता) को ‘क्लेप्टोलोहानिया’ नाम दिया है |
बचाव :
इस बीमारी से ग्रसित व्यक्ति को इस बात के लिए जागरूक किया जाय कि वह ‘क्लेप्टोमैनिया’मनोरोग से ग्रसित है जिससे वह अभी तक अनभिज्ञ रहा है | उसकी अंतर्दृष्टि का विकास इस प्रकार किया जाय कि वह अपनी चोरी करने की मनोविवषता को अपनी बीमारी के लक्षण के रूप में सक्रिय रूप से पहचान कर मनोविवषता से उत्पन्न बेचैनी व उलझन को बर्दास्त कर सके | साथ ही परिजनों को उसे भावनात्मक सहयोग एवं प्रोत्साहन के साथ उसके मनोउपचार में उसका सहयोग करना चाहिए |